गरुण पुराण क्या है ?
गरुण पुराण विद्या, यश, सौंदर्य, लक्ष्मी, विजय कारक है, जो मनुष्य इसका पाठ करता है, या सुनता है, वह सब कुछ जान जाता है, और अंत मे उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
जो मनुष्य एकाग्रचित होकर इस महापुराण का पाठ करता है, सुनता है, अथवा सुनाता है, जो इसको लिखता है, लिखाता है, या पुस्तक के रूप में इसे अपने पास रखता है, वह यदि धर्मार्थी है तो उसे धर्म की प्राप्ति होती है, यदि वह अर्थ का अभिलाषी है तो उसे अर्थ प्राप्त करता है।
विद्यार्थी को विद्या, विजिगीषु को विजय, ब्रह्महत्या आदि से युक्त पापी पाप से विशुद्धि को प्राप्त होता है।
मण्डल की कामना वाला व्यक्ति अपना मंडल , गुणों का ईच्छुक व्यक्ति गुण, काव्य करने का अभिलाषी मनुष्य सारतत्व प्रप्त करता है।
जो मनुष्य गरुण महापुराण के एक भी श्लोक का पाठ करता है, उनकी अकाल मृत्यु नही होती, इसके मात्रा आधे श्लोक का पाठ करने से ही निश्चित ही दुष्ट शत्रु का क्षय हो जाता है।
इसलिए गरुण पुराण मुख्य और शास्त्रसम्मत पुराण है, विष्णु धर्म के प्रदर्शन में गरुण पुराण के समान दूसरा कोई भी पुराण नही है।
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गरुण पुराण बड़ा ही पवित्र और पुण्यदायक है, यह सभी पापों आया विनाशक और सुननेवाले कि समस्त कामनाओ का पूरक है, इसका सदैव श्रवण करना चाहिए, जो मनुष्य इस महापुराण को सुनता या इसका पाठ करता है, वह निष्पाप होकर यमराज की भयंकर यातनाओं को तोड़कर स्वर्ग को प्राप्त करता है।
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