Varaha Purana (वराह पुराण) क्या है ?
वराह पुराण वैष्णव पुराण है, भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से एक था वराह अवतार ! पृथ्वी का उद्धार करने के लिए भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया था, इस अवतार की विस्तृत व्याख्या इस पुराण में की गयी है,
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पुराण के सभी अनिवार्य लक्ष्ण इस पुराण में मिलते है, मुख्य रूप से तीर्थो के सभी महात्म्य, पिण्ड और पुजारियों को अधिक से अधिक दान दक्षिणा देने से पुण्य का काम बताया गया है, साथ ही कुछ सनातन उपदेश भी इस पुराण में है इसे हर एक प्राणी को ग्रहण करना चाहिए, वे अति उत्तम है.
Varaha Purana (वराह पुराण) में कितने अध्याय और श्लोक है ?
इस पुराण में 270 अध्याय है, और लगभग 10 हजार श्लोक है, इस श्लोको में भगवान वराह के धर्मोपदेश कथाओ के रूप में प्रस्तुत किये गये है, वराह पुराण योजनाबद्धरूप से लिखा गया पुराण है,
वराह पुराण में विष्णु पूजा का अनुष्ठान विधि पूर्वक करने की शिक्षा दी गयी है, साथ ही त्रिशक्ति महात्म्य, शक्ति महिमा, गणपति चरित्र, कार्तिकेय चरित्र, रूद्र क्षेत्रो का वर्णन , सूर्य, शिव, ब्रह्मा महात्म्य, तिथियों के अनुसार देवी देवताओं की उपासना, विधि, चरित्रों का सुंदर वर्णन भी इस पुराण में किया गया है।
सभी धर्म , पुराणों में दान, दक्षिणा से सम्बंधित बखान भी इस पुराण में किया गया है, इस पुराण में नचिकेता उपाख्यान भी महत्वपूर्ण है, पाप समूह और पाप नाश के सुंदर उपायों का वर्णन किया गया है, कुछ प्रमुख पापों का उल्लेख करते हुए यह पुराण कहता है कि "हिंसा , चुगली, आग लगाना, जीव हत्या, चोरी, असत्य कथन, अपशब्द बोलना, दुसरो को अपमानित करना, झूठी अफवाहें फैलाना, स्त्रियों को बहकाना आदि भी पाप है।
नारद और यम के संवाद में इन पापों से मुक्ति का उत्तर देते हुए यम कहते है की यह संसार मनुष्य की कर्म भूमि है, जो भी इस धरती पर जन्म लेते है उसे कर्म करने ही पड़ते है, कर्म करने वाला स्वयं ही अपने कर्मो का उत्तरदायी होता है, आत्मा ही आत्मा का मित्र अथवा सगा और शत्रु होता है।
वराह पुराण अन्य पुराणों से भौगोलिक कारणों से भिन्न है, मथुरा के तीर्थो का भी वर्णन इस पुराण में किया गया है, चारो वर्णो के लिए सत्य धर्म का पालन और शुद्ध आचरण पर बल दिया गया है।
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