Manusmriti PDF in Hindi , मनुस्मृति पीडीएफ हिंदी में

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Manusmriti pdf ग्रन्थ को अधिकतर हिंदुओं ने पढ़ने का प्रयास तक नहीं किया होगा हिंदू जानते ही नहीं कि इस ग्रन्थ में क्या लिखा है बस वह तो विधर्मियों की बातें सुनते रहते हैं और उन्हें सही जवाब भी नहीं दे पाते हैं। इसीलिए आज हम आपको बताएंगे कि आप मनुस्मृति कहां से खरीद सकते हैं और विधर्मियों को उचित उत्तर दे सकते हैं विधर्मियों की बोलती बंद कर सकते हैं।

Manusmriti PDF

मनुस्मृति के बारे में जर्मनी के महान दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे ने एक बात कही थी उन्होंने कहा था कि मनुसमृति बाइबल से भी श्रेष्ठ ग्रंथ है, बल्कि मनुस्मृति की तुलना बाइबल से तो की ही नहीं जा सकती यदि कोई मनुस्मृति की तुलना बाइबल से करता है तो यह महापाप है। आप जर्मनी के इन महान दार्शनिक के विचारों से समझ ही गए होंगे कि मनुस्मृति कितना अधिक महत्व रखती है मात्र कुछ दुष्टों के मिलावट कर देने से मनुस्मृति का महत्व खत्म नहीं हो जाता।



महर्षि मनु ही संसार में ऐसे पहले व्यक्ति हुए हैं जिन्होंने संसार को एक व्यवस्थित नियमबद्ध नैतिक और आदर्श मानवीय जीवन शैली की पद्धति सिखायी है। महर्षि मनु को मानव का आदि पुरुष भी कहा जाता है महर्षि मनु द्वारा रचित मनुस्मृति इतिहास का सबसे पुरातन धर्मशास्त्र है।

यह ग्रन्थ रामायण में महर्षि वाल्मीकि ने मनु को एक प्रामाणिक धर्मशास्त्रज्ञ के रूप में कहा है
करोड़ों सालों तक मनुसमृति हमारा संविधान रहा है मनुस्मृति के आधार पर ही सारे निर्णय होते थे दुष्टों का दंड दिया जाता था और किसी के साथ भी कोई भेदभाव नहीं होता था मनुस्मृति में आप पाएंगे कि ऋण क्या होता है ऋण को चुकाने की पद्धति क्या है आखिरकार ब्याज दिया कितना जाए यह सब कुछ आपको मनुसमृति में मिल जाएगा।



आज कुछ नवबोध भीम वादी मनुस्मृति के बारे में दुष्प्रचार करते हैं ना जाने कैसी-कैसी बातें मनुस्मृति के बारे में बोलते हैं जो कि मनुस्मृति में है ही नहीं या फिर उसमें मिलावट कर दी गई है जब आप मनुसमृति को पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि सर्वप्रथम महर्षि मनु ने क्या कहा और बाद में उस बात के विपरीत मिलावट कर दी गई उससे आप अंदाजा लगा पाएंगे कि सत्य क्या है और असत्य क्या है

दोस्तों जो दुष्ट बुद्धि के होते हैं तामसिक बुद्धि के होते हैं जो निरी निम्न कोटि की बुद्धि के होते हैं वह कभी भी सत्य को जानने का प्रयास नहीं करते वह सिर्फ और सिर्फ असत्य को जानकर ही भ्रांतियां फैलाते रहते हैं कभी यह जानने का प्रयास ही नहीं करते कि पहले तो ऋषि ने कुछ और कहा था बाद में जो उसके बाद के विपरीत बाते लिखी गई है वह बात ऋषि की कही हुई नहीं है वह तो दुष्ट और विधर्मियों की लिखी गई है तो भला विधर्मियों की बातों को सत्य मानकर कितना हाय तौबा मचाते हैं।

रामायण में महर्षि वाल्मीकि ने मनु को एक प्रामाणिक धर्मशास्त्रज्ञ के रूप में कहा है और हिंदुओं में भगवान के रूप में पूज्य श्री राम अपने आचरण को शास्त्र सम्मत सिद्ध करने के लिए उस के समर्थन में मनु के श्लोकों को उध्दृत करते हैं।




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