श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र । Sri Vishnu Sahasaranama Stotram in Sanskrit, Hindi with English Translation

Sri Vishnu Sahasranama Stotram Lyrics in Sanskri। श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र संस्कृत में हिंदी अनुवाद के साथ ।


विष्णु सहस्रनाम भगवान विष्णु के हजार नामों से युक्त एक प्रमुख स्तोत्र है। इसके अलग अलग संस्करण महाभारत, पद्म पुराण व मत्स्य पुराण में उपलब्ध हैं। स्तोत्र में दिया गया प्रत्येक नाम श्री विष्णु के अनगिनत गुणों में से कुछ को सूचित करता है। विष्णु जी के भक्त प्रात: पूजन में इसका पठन करते है। मान्यता है कि इसके सुनने या पाठ करने से मनुष्य की मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।

वेदों और पुराणों भगवान विष्णु को श्रृष्टि का पालनहार कहा गया है। मानव जीवन से जुड़े सुख-दुख का चक्र श्री हरि‍ के हाथों में है। भगवान की उपासना में विष्णु सहस्रनाम के पाठ का बहुत महत्व है।यदि प्रतिदिन इन एक हजार नामों का जाप किया जाए तो सभी मुश्किलें हल हो सकती हैं। वैसे वैदिक परंपरा में मंत्रोच्चारण का विशेष महत्व माना गया है, अगर सही तरीके से मंत्रों का उच्चारण किया जाए तो यह जीवन की दिशा ही बदल सकते हैं। 

क्या है विष्णु सहस्रनाम उद्ग्म स्रोत ?-

विष्णु सहस्रनम की उत्पत्ति महाकाव्य महाभारत से मानी जाती है, जब पितामह भीष्म, पांडवों से घिरे मौत के बिस्तर पर अपनी मृत्यु का इंतजार कर रहे थे, उस समय ज्ञान पाने की इच्छा से ,युधिष्ठिर ने उनसे पूछा, "पितामह! कृपया हमें बताएं कि सभी के लिए सर्वोच्च आश्रय कौन है? जिससे व्यक्ति को शांति प्राप्त हो सके; वह नाम कौन सा है जिससे इस भवसागर से मुक्ति प्राप्त हो सके; कौन ऐसा है, जो सर्व व्याप्त है और सर्व शक्तिमान है? । इस सवाल के जबाब में पितामह भीष्म ने कहा की वह नाम ''विष्णु सहस्रनाम ''है ।

भीष्मपितामह ने विष्णु के एक हजार नाम बताने के साथ ही युधिष्ठिर से कहा कि हर युग में मनोकामना पूर्ति के लिए, इन एक हजार नामों को सुनना और पढ़ना सबसे उत्तम होगा।  इसका नियमित पाठ करके हर संकट से मुक्ति मिल जाती है।  विष्णु सहस्रनाम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह हिंदू धर्म के दो प्रमुख सम्प्रदाय शैव और वैष्णवों के बीच यह जुड़ाव का काम करता है।

विष्णु सहस्रनाम में विष्णु को शम्भु, शिव, ईशान और रुद्र के नाम से बुलाया गया है, जिससे यह साबित होता है कि शिव और विष्णु एक ही है। सनातन सम्प्रदाय में धर्म को कभी भी मानव समाज के रूप में नहीं बताया गया है। सही मायनों में धर्म को मनुष्य के कर्तव्य नियम के रूप में बताया गया है, जिसे हम कर्म भी कहते हैं। विष्णु सहस्रनाम भी कर्म प्रधान है।

विष्णु के इन एक हजार नामों में मानव धर्म के बारे में बताया गया है. मनुष्य द्वारा मानसिक और शारीरिक रूप से होने वाले सभी काम और उनके फलों का वर्णन है. जैसे सहस्रनाम में 135वां नाम ‘धर्माध्यक्ष’ है। इसका मतलब है कि कर्म के अनुसार इंसान को पुरस्कार या दंड देने वाले देव।

स्तोत्र के तीन प्रमुख भाग;-

कहते हैं कि विष्णु सहस्रनाम के जाप में बहुत सारे चमत्कार समाएं हैं। इस मंत्र को सुनने मात्र से सात जन्म संवर जाते हैं, सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं और हर दुख का अंत होता है। इस स्तोत्र के तीन प्रमुख भाग माने गये हैं, जिसमें से प्रथम है...

पूर्व पीठिका

इसमे सर्वप्रथम गणेश, विष्वक्सेन, वेदव्यास तथा विष्णु का नमन किया जाता है। इसके बाद युधिष्ठिर के प्रश्न दिए गए हैं, जिसका अर्थ है, सभी लोकों में सर्वोत्तम देवता कौन है?संसारी जीवन का लक्ष्य क्या है?किसकी स्तुति व अर्चन से मानव का कल्याण होता है?सबसे उत्तम धर्म कौनसा है?किसके नाम जपने से जीव को संसार के बंधन से मुक्ति मिलती है?इसके उत्तर में भीष्म ने कहा,"जगत के प्रभु, देवों के देव, अनंत व पुरूषोत्तम विष्णु के सहस्रनाम के जपने से, अचल भक्ति से, स्तुति से, आराधना से, ध्यान से, नमन से मनुष्य को संसार के बंधन से मुक्ति मिलती है। यही सर्वोत्तम धर्म है।"

द्वितीय भाग

इसके बाद ऋषि, देवादि संकल्प तथा परमात्मा का ध्यान किया जाता है। इस भाग मे विश्वं से आरंभ सर्वप्रहरणायुध तक सभी सहस्र यानि 1000 नामों को 107 श्लोकों मे सम्मिलित किया गया है। परमात्मा के अनंत रूप, स्वभाव, गुण व नामों में से सहस्र नामों को इसमें लिया गया है।

उत्तर पीठिका

ये तीसरा भाग है जिसे फलश्रुति भी कहते हैं। इस भाग मे सहस्रनाम के सुनने अथवा पठन से प्राप्त होने के लाभ का विवरण दिया गया है। इसी भाग में विष्णु के सहस्र अर्थात एक हजार नामों की सूची है।

क्या है विष्णु सहस्रनाम मंत्र ?-

विष्णु सहस्रनाम एक ऐसा मंत्र है जिसमें विष्णु के हजार नामों का सम्मिश्रण है अर्थात अगर कोई व्यक्ति भगवान विष्णु के हजार नामों का जाप नहीं कर सकता है तो वह इस एक मंत्र का जाप कर सकता है। इस एक मंत्र में अथाह शक्ति छिपी हुई है जो कलयुग में सभी परेशानियों को दूर करने में सहायक है।इस स्तोत्र में लक्ष्मीपति के एक हजार नाम दिए हैं. अगर आप रोज ये स्त्रोत्र नहीं पढ़ सकते तो जानें विष्णु के हजारों नाम का फल देने वाला मंत्र...

मंत्र :-
नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे।
सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम:।।'

यह एक श्लोक है, जिसका असर विष्णु सहस्रनाम स्त्रोत्र जैसा  है । रोज सुबह इस एक मंत्र का जाप करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।

विष्णु सहस्रनाम को पढ़ने के लाभ:

1- जैसा महाभारत में उद्धृत किया गया है...विष्णु सहस्रनाम से धर्मी व्यवहार के स्रोत, और सभी ज्ञान और अस्तित्व का आधार मिलता है।भय और बुराइयों के साथ कभी मुठभेड़ नहीं होती है।

2-साधक को महान शक्ति और ऊर्जा प्राप्त होती है।रोग उसे परेशान नहीं करता है। वह मानसिक स्थिरता, स्मृति और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।

3-भगवान विष्णु के बारे में कहते हैं कि इनका नाम लेने मात्र से जन्म और मरण के बंधनों से छुटकारा मिल जाता है। विष्णु देव इस संसार के पालनकर्ता माने जाते हैं। माना जाता है कि इनकी पूजा-उपासना से जीवन का निर्वाह आसान हो जाता है। ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र के पाठ से कुंडली का बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है। साथ ही इसके श्लोक से हर ग्रह और नक्षत्र को नियंत्रित किया जा सकता है।

4-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में बृहस्पति कमजोर होने से पेट से संबंधित परेशानी हो जाती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र के पाठ की सलाह दी जाती है। कहते हैं कि जब संतान प्राप्ति में बाधा आ रही हो तो ऐसे में भी विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना शुभ होता है। इसके अलावा वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए भी इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए कहा जाता है।

भगवान विष्णु का ध्यान मंत्र है- 

''शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥”

पीले वस्त्र पहनकर या पीली चादर ओढ़कर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। विष्णु सहस्रनाम के पाठ के लिए बृहस्पतिवार का दिन शुभ है।

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