ऋग्वेद 'सनातन हिन्दू धर्म' की चार वेदों में सबसे बड़ा है। शास्त्रीय संस्कृत काव्य की सभी विशेषताओं का ऋग्वेद से पता लगाया जा सकता है। इसमें हमें भारत के धार्मिक और दार्शनिक विकास के बीज मिलते हैं।
इस प्रकार, कविता और उसके धार्मिक और दार्शनिक महत्व दोनों के लिए, ऋग्वेद का अध्ययन उस व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए जो भारतीय साहित्य और आध्यात्मिक संस्कृति को समझना चाहता है।
इस प्रकार, कविता और उसके धार्मिक और दार्शनिक महत्व दोनों के लिए, ऋग्वेद का अध्ययन उस व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए जो भारतीय साहित्य और आध्यात्मिक संस्कृति को समझना चाहता है।
* *ऋग्वेद के रचनाकार कौन है ?
=> विश्वामित्र , विशिष्ट भारद्वाज , अत्रि , वामदेव , और गृत्सयद ऋषि ।
**ऋग्वेद में कितने मंत्र हैं ?
=>ऋग्वेद में 10 मंडल, 1028 सूक्त और 10627 मन्त्र हैं, मन्त्र संख्या के विषय में विद्वानों में कुछ मतभेद है। मंत्रों में देवताओं की स्तुति की गयी है। इसमें देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं। यही सर्वप्रथम वेद है।
ऋक् संहिता में 10 मंडल, बालखिल्य सहित 1028 सूक्त हैं।