Brihaspativar Vrat Katha pdf in hindi, sanskrit
बृहस्पतिवार/गुरुवार व्रत कथा पीडीऍफ़ डाउनलोड
बृहस्पति देव की कथा और आरती सहित pdf gita press gorakhpur book download
Brihaspativar Vrat Katha मे बृहस्पतिवार के दिन श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है, ऐसा माना है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक श्री हरि का व्रत और पूजन करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा किसी की रुकी हुई शादी को जल्द से जल्द करने के लिए ये व्रत काफी लाभदायक होता है।
इसके अलावा घर मे सुख शांति और श्री हरि विष्णु भगवान का आशीर्वाद भी मिलता है। लेकिन भगवान का आशीर्वाद बीबी मिलता है, पूर्ण फल प्राप्ति के लिए बृहस्पति देव की विधि और भाव से पूजा करना आवश्यक हैं।
बृहस्पतिवार की व्रत कथा Vidhi aur Niyam
बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु जी और बृहस्पति देव की पूजा होती है, जिससे घर मे सुख और समृद्धि बानी रहती हैं, कुवारी लड़कियाँ इस व्रत को इसलिए करती हैं कि उनके विवाह में आने वाली संकट दूर हो जायेंगी।
ऐसा माना जाता है कि अगर एक वर्ष में बृहस्पतिवार का व्रत करते है तो आपके घर मे कभी पैसे रूपयों कमी नही होती, आपको एक वर्ष में 16 बृहस्पतिवार का व्रत करने चाहिए और 17वे बृहस्पतिवार को उध्यापन करनी चाहिए , इससे मनवांछित फल मिलते है।
बृहस्पतिवार व्रत शुरू करने का शुभ मुहूर्त
पौष के महीने को छोड़कर जो दिसंबर या जनवरी के महीने में आता है , इसको छोड़कर आप किसी भी माह के शुक्लपक्ष के प्रथम बृहस्पतिवार को शुरू कर सकते है, किसी भी नया काम को शुरू करने के लिए शुक्लपक्ष शुभ माना जाता है।
brihaspativar vrat katha vidhi, बृहस्पति भगवान की कथा विधि pdf
बृहस्पति भगवान के इस व्रत के लिए आपको अभूत ही कम सामग्री की जरूरत पड़ेगी, जैसे कि चने कि दाल , गुड़ , हल्दी, थोड़े से केले , और एक उपला जो हवन के लिए प्रयोग होगा, और एक भगवान विष्णु की चित्र , अगर केले का पेड़ है तो बहुत अच्छा।
व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान आदि कार्यो से निवृत्त होकर सबसे पहलर आप भगवान के आगे बैठ जाइए , और भगवान , को साफ करने के पश्चात चावल एयर पिले फूल लेकर 16 Brihaspativar Vrat करने का संकल्प लीजिये।
भगवान विष्णु को छोटा सा पिला वस्त्र अर्पण कीजिये और अगर केले के पेड़ के सामने पयः कर रहे है तो भी वस्त्र चढ़ा दीजिये, शहरी क्षेत्रों में केले का पेड़ मिलने की सम्भवना कम होती है इसकिये आप अपने घर के मंदिर में व्रत की विधि कर सकते है।
एक लोटे में जल रख कीजिये उसमे थोड़ी सी हल्दी डालकर विष्णु भगवान जी या केले के पेड़ की जड़ को स्नान कराइये, अब उसी लोटे में गुड़ और चने की दाल को रख लीजिए और अगर आप केले के पेड़ की पूजा कर रहे है तो उसी पे चढ़ा दीजिये।
तिलक करिये भगवान का, हल्दी या चंदन से , पिला चावल जरूर चढ़ा दीजिये, घी का दीपक जलाइए, और उसके बाद कथा पढिये।
कथा पढ़ने के बाद उपले पे हवन कीजिये, गाय के उपले को गर्म करके उसमें घी डालिये और जैसे ही अग्नि प्रज्वलित हो जाये उसमे हवन सामग्री के साथ गुड़ और चने की आहुति भी देनी होती हैं, 11 बार ॐ गुरुवे नमः के मंत्र के साथ ।
हवन सम्पति के बाद आरती कीजिये, और अंत मे क्षमा प्रार्थना कीजिये, पूजा करने के बाद आपके लोटे में जो पानी है उसे अपने घर के आसपास के केले के पेड़ पर चढ़ा दीजिये।
इस बात का ध्यान रखे कि इस दिन आप केले की पूजा करते है इसलिए गलती से भी केला न खाए और आप इसे बस चढ़ा सकते है और प्रसाद के रूप में बाँट सकते है, अगर कोई गाय मिले तो उसे चने की दाल और गुड़ जरूर खिलाये इससे बहुत पूण्य मिलेगा।
पुरुष Brihaspativar Vrat लगातार 16 बृहस्पतिवार कर सकते है, परंतु महिलाओ या लड़कियों को यह व्रत मुश्किल के दिनों में नही करनी चाहिए जब वह पूजा कर सकती है तभी उन्हें करनी चाहिए।
बृहस्पतिवार व्रत कथा उध्यापन विधि PDF
उध्यापन के एक दिन पहके 5 चीजे लेकर रख लीजिए, चने की दाल, गुड़, हल्दी, केले, पपीता, और पिला कपड़ा और सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा।
फिर गुरुवार के दिन हर व्रत की तरह यथावत पूजा के बाद प्रार्थना करिये की आपने संकल्प के अनुसार अपने व्रत पूरे कर लिए है और भगवान आप पर कृपा बनाये रखे, और आज आप पूजन का उध्यापन करने जा रहे है ।
इसके पश्चात पूजा में ये सारी सामग्री भगवान विष्णु को चढ़ाकर किसी ब्राह्मण को दान करके उनका आशीर्वाद ले लीजिये
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