प्रस्तुत ग्रंथ रावण संहिता के प्रवर्तक लंकेश्वर दशानन रावण के प्रसंग में देवताओं से भगवान श्री विष्णु का यह कहना कि वे अभी उसे युद्ध मे परास्त नही कर सकते, रावण को प्राप्त दिव्य शक्तियों की ओर ही संकेत करता है।
रावण ने अपने अभियान को पूर्ण करने के लिए शस्त्र और शास्त्र दोनों साधनों को अपनाया , वह तन्त्रशास्त्र का परम ज्ञाता था, उसने औषध ज्ञान को स्वयं जांचा-परखा और फिर प्रयोग किया था, वह एक अच्छा दैवज्ञ भी था।
इस ग्रंथ में रावण के इन्ही विविध रूपो पर प्राप्त सामग्रियों की सहायता से प्रकाश डाला गया है।
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