भगवद गीता यथारूप हिंदी पीडीऍफ़ डाउनलोड - Bhagavad Gita as it is PDF free download
भगवद्गीता को विश्व की सबसे प्राचीन जीवित संस्कृति, भारत की महान धार्मिक सभ्यता के प्रमुख साहित्यिक प्रमाण के रूप में देखा जा सकता है, प्रस्तुत अनुवाद तथा टिका गीता के चिरस्थायित्व की अन्य अभिव्यक्ति है, स्वामी भक्तिवेदांत पाश्चात्य जगत को स्मरण दिलाते है की हमारी अत्यधिक क्रियाशील तथा एकांगी संस्कृति के समक्ष ऐसा संकट उपस्थित है, जिसमे आत्म विश्वास हो सकता है क्योकि इसमें मौलिक अध्यात्मिक चेतना की गहराई का आभाव है, ऐसी गहराई के बीना हमारे चारित्रिक तथा राजनितिक विरोह्द शब्दजाल बनकर रह जाते है
पाश्चात्य जगत में भारतीय साहित्य का कोई भी ग्रन्थ इतना अधिक उद्धरित नही होता जितना की भगवद्गीता, क्योकि यही सर्वाधिक प्रिय है, ऐसे ग्रन्थ के अनुवाद के लुए ण केवल संकृत का ज्ञान आवश्यक है. अपितु विषयवस्तु के प्रति आतंरिक सहानभूति तथा शब्द्चातुरी भी चाहिए, श्रील भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद निश्चित रूप से विषय वास्तु के प्रति अतीव सहानभूतिपूर्ण है,
भगवद्गीता में कुल कितने अध्याय है?
- कुरुक्षेत्र के युध्द्स्थल में सैन्य निरिक्षण
- गीता का सार
- कर्मयोग
- दिव्य ज्ञान
- कर्मयोग-कृष्ण भावनाभावित कर्म
- ध्यानयोग
- भगवद ज्ञान
- भगवद प्राप्ति
- परम गुह्य ज्ञान
- श्री भगवान का ऐश्वर्य
- विराट रूप
- भक्तियोग
- प्रकृति, पुरुष तथा चेतना
- प्रकृति के तीन गुण
- पुरुषोतम योग
- देवी तथा असुरी स्वभाव
- श्रद्धा के विभाग
- उपसंहार-सन्यास की सिद्धि
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