शिव पुराण संस्कृत हिंदी में गीता प्रेस गोरखपुर pdf download
शिव पुराण का अठारह पुराणों में विशेष गौरव है। इस पुराण के श्रवण और परायण की सुदीर्घ परम्परा चली आ रही है। इसमें मुख्य रूप से भगवान सदाशिव एवं जगतजननी माता पार्वती की लीला-कथाओ का विस्तार से प्रतिपादन हुआ है।भक्ति, ज्ञान, सदाचार, शौचाचार, उपासना तथा मानव-जीवन के कल्याण की अनेक उपयोगी बातें इसमे निरूपित है। कथाओ का तो यह आकर ग्रंथ है। शिवज्ञान, शैविदीक्षा तथा शैवागम की अत्यंत प्रौढ़ सामग्री इसमे विद्यमान है।
वर्तमान में उपलब्ध शिव पुराण में सात संहिताएं है, पहली संहिता का नाम विधेश्वर संहिता है। दूसरी संहिता रुद्र संहिता है, जो सृष्टि खंड, सतीश खण्ड, पार्वती खण्ड, कुमार खण्ड, तथा युद्धखण्ड - इस प्रकार से पाँच खण्ड में विभक्त है। तीसरी संहिता शत रुद्रसंहिता है, चौथी संहिता कोटिरुद्रसंहिता है,
पांचवी संहिता उमा संहिता है, छठी संहिता का नाम कैलास संहिता है और सातवी संहिता वायवीय संहिता के नाम से कहि गयी है, जो दो भागों में विभक्त है। इस प्रकार अत्यंत विस्तृत इस पुराण में लगभग चौबीस हजार श्लोक है।
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