ब्रह्म पुराण क्या है ? What is Brahma Purana ?
ब्रह्म पुराण संस्कृत भाषा में हिंदू ग्रंथों के अठारह प्रमुख पुराणों में से एक है। यह सभी पुराणों में पहले महा-पुराण के रूप में सूचीबद्ध है, और इसलिए इसे आदि पुराण भी कहा जाता है। इस ग्रन्थ का एक अन्य शीर्षक है सौरा पुराण, क्योंकि इसमें सूर्य या सूर्य देव से संबंधित कई अध्याय शामिल हैं।
ब्रह्म पुराण में 246 अध्याय हैं। इसकी श्लोक संख्या लगभग 10,000 है, इस पुराण में ब्रह्मांड की उत्पत्ति, पृथु का पावन चरित्र, सूर्य एवं चन्द्रवंश का वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्त जीवी मार्कण्डेय मुनि का चरित्र, तीर्थों का माहात्म्य एवं अनेक भक्तिपरक आख्यानों की सुन्दर चर्चा की गयी है।
इसमें 'ब्रह्म' को सर्वोपरि माना गया है। इसीलिए इस पुराण को प्रथम स्थान दिया गया है। पुराणों की परम्परा के अनुसार 'ब्रह्म पुराण' में सृष्टि के समस्त लोकों और भारतवर्ष का भी वर्णन किया गया है। कलियुग का वर्णन भी इस पुराण में विस्तार से उपलब्ध है।
[ads id="ads2"]ब्रह्म पुराण का धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्व है, साथ ही इसका पर्यटन की दृष्टि से भी महत्व है, इसमें अनेक तीर्थों- भद्र तीर्थ, पतत्रि तीर्थ, विप्र तीर्थ, भानु तीर्थ, भिल्ल तीर्थ आदि का विस्तार से वर्णन मिलता है, इसमें सृष्टि के आरंभ में हुए महाप्रलय के विषय में भी बताया गया है, इसमें मोक्ष-धर्म, ब्रह्म का स्वरूप और योग-विधि की भी विस्तृत जानकारी दी गई है, इसमें सांख्य और योग दर्शन की व्याख्या करके मोक्ष–प्राप्ति के उपायों पर प्रकाश डाला गया है।
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