नोआखाली दंगे : विभाजन के समय 50,000 हिन्दुओ को अपनी जिंदगी गवानी पड़ी थी

noakhali hatyakand


विभाजन के समय हुए बंगाल के नोआखाली (अभी बांग्लादेश में) हिंसा के बारे में हर एक हिंदूवादी को मालूम होगा या हर एक हिंदूवादी इतिहासकार को मालूम होगा।

इस हिंसा में नेहरू और गांधी की घटिया राजनीति के चलते उस समय के बंगाल में भयंकर हिंसा हुई, जिसमे नोआखाली हिंसा में सबसे ज्यादा हिन्दुओ पर अत्याचार हुआ और इस हिंसा में हिन्दुओ के हर घर मे घुसकर मारा गया और महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया,

दंगे के बाद सारे गली और सड़क लाशो से भरे हुए थे, घरो में घुसकर हिन्दू महिलाओ और बच्चियों का बलात्कार किया गया था, और जबरन धर्म परिवर्तन हुआ था, कुछ क्षेत्र में हिन्दुओ को बाहर जाने के लिए मुस्लिम नेताओं से परमिशन की जरूरत पड़ती थी, जबरन धर्म परिवर्तन हुआ और हिन्दुओ को जबरन लिखित हस्ताक्षर करवाये गए थे की उन्होंने स्वयं इस्लाम कबूल किया है।

हिन्दुओ को मुस्लिम लीग को जजिया टैक्स देने के लिए मजबूर किया गया था जिसने हवस के लिए देश का विभाजन करवाया .

कहते थे मेरी लाश पर बनेगा पाकिस्तान, लेकिन खुद पाकिस्तान बनवा दिया..

तुर्की में 'कमाल अतातुर्क' के द्वारा लोकतंत्र की स्थापना की गई जिसके विरोध में महात्मा गांधी ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर भारत मे खिलाफत आंदोलन करवाया, जिसका उद्देश्य था कि पूरे विश्व मे मुसलमानो का एक ही खलीफा हो, जिसके बाद पूरे देश मे हिंसा हुआ था ।

नोआखाली पहली बड़ी घटना थी जहाँ दंगे और लूट पाट का उद्देश्य वहां से हिन्दुओ का पूर्ण सफाया था. 5 महीने 'गांधी' वहां पड़े रहे , लेकिन एक भी हिन्दू दोबारा वहां नही बस पाया, उस वक्ता कांग्रेस का अध्यक्ष जे.बी कृपलानी थे, जो गांधी जी को सही स्थिति की जानकारी देने के लिए अपनी पत्नी सुचेता कृपलानी के साथ नोआखाली गए थे।

जे.बी कृपलानी ने अपने संस्मरण में लिखा है, '' वहां हमने सुना कि एक हिंदू लड़की आरती सूर की जबरदस्ती मुस्लिम लड़के से शादी करा दी गई थी, वह पंचघडि़यां गांव की थी, सुचेता ने उसका नाम नोट किया और चौमुहानी लौटने पर मजिस्ट्रेट को इसकी जानकारी दी, मजिस्ट्रेट ने मुझसे कहा कि इस तरह की शादियां लड़की की मर्जी से हो रही हैं।

इतना सुनना था कि सुचेता क्रोध से फट पड़ी और मजिस्ट्रेट को चुनौती दी। मजिस्ट्रेट ने निरुत्तहर होने के बाद अगले दिन उस लड़की को छुड़वाया और मां-बाप को वापस कराया। उसके बाद उस लड़की को कलकत्ता भेज दिया गया ताकि वह सुरक्षित रहे।''

जे.बी लिखते हैं, '' संगठित और हथियार बंद झुड निकलते थे और हिंदू घरों को घेर लेते थे। पहले ही झटके में जो जमींदार परिवार थे, उन पर कहर ढाया गयाा दंगाईयों ने हर जगह एक ही तरीका अपनाया। मौलाना और मौलवी झुंड के साथ चलते थे। जहां भीड़ का काम खत्मे हुआ वहां मौलाना और मौलवी हिंदुओं को धर्मांतरित करते थे। कुछ गांवों में कुरान के कल्माम और आयतें सिखाने के लिए क्लास चलाए जाते थे।"

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