आज से लगभग 300 साल पहले धरती पर Dodo नामक एक पक्षी हुआ करता था. Dodo का निवास मौरीसस द्वीप था, उस द्वीप पर एक भी ऐसा प्राणी नही था जिससे Dodo को खतरा हो. ऐसा कहा जाता था की Dodo has no enemy. मौरीसस पर Dodo के लिए भोजन प्रचुर था और कोई शत्रु था नही, इसलिए Dodo को कभी उड़ना नही पड़ता था, इसलिए धीरे-धीरे Dodo ने अपनी उड़ने की और भागने की क्षमता खो दी. पुरे द्वीप पर कोई शत्रु नही था, कोई ऐसा जीव-जंतु नही था जो Dodo को मार के खाए, इसलिए Dodo ने किसी से डरना भी छोड़ दिया..
इसलिए Dodo ने डरना ही छोड़ दिया .
सन 1598 में मौरीसस के तट पर डच व्यापारियों का आगमन हुआ. स्वर्ग जैसा मौरीसस और Dodo जैसा फ्रेंडली पक्षी.
बताया जाता है की Dodo डचो को देखकर स्वयं उनके पास चले आते थे, फिर क्या डचो ने उन्हें मारकर भोजन के रूप में लेना शुरू कर दिया, एक Dodo में लगभग 10-20 किलो मांस होता था,
सिर्फ 64 साल में, यानि 1662 में आखिरी Dodo को देखा गया, मतलब Dodo धरती से विलुप्त हो गये.
कल तक स्वीडन यूरोप के सर्वाधिक सम्पन्न और सर्वाधिक शांतिप्रिय देशो में गिना जाता था, स्वीडन में क्राइम रेट इतना कम था कि वहां पुलिस सिर्फ नाम मात्र को थी, पूरे देश मे पुलिस की जरूरत ही नही पड़ती थी. स्वीडिश लोग इतने फ्रेंडली होते थे कि उन्हें कोई बुरा आदमी कभी मिला ही नही था. आदमी जैसा स्वयँ होता है वैसा ही वो दुसरो को भी समझता है ।
याद रखे : आदमी जैसा स्वयं होता है वैसा ही वो दुसरो को भी समझता है, अरब के देशों में जब अशांति फैली और वहां से जान बचाकर जब लोगो ने भागना शुरू किया तो वो युरोप की तरफ भागे. स्वीडन ने दोनों हाथ फैलाकर उनको गले लगाया, शरण दी सारी सुख सुविधाएं दी. आज वहाँ हालात के है कि देश मे गृह युद्ध जैसे हालात हैं. वहीं अरबी शरणार्थी जो कल भूखे नंगे बिलबिलाते शरण मांगने आये थे, उन्हीने अक्टूबर 2015 में पूरे देश मे तोड़ फोड़ एक सप्ताह तक मचाये रखा, आगजनी की, लूटपाट की, हर तीसरे दिन वहाँ किसी न किसी स्टोर में लूटपाट की घटनाएं हो जाती है, स्टोर में आग लगा दी जाती है।
सरकार ने अपने नागरिकों को आदेश दिया कि उन इलाकों में न जाये जहां शरणार्थी रहते हो, महिलाएं अकेली बाहर न निकलें और अपने तन ढक कर बाहर निकलें ।
स्वीडिश समाज को ये खतरा है कि देश मे कभी भी गृह युद्व छिड़ सकता है. देश मे अवैध रूप से प्रवेश बदस्तूर जारी है, स्वीडन की सड़कों पर सर्रेआम हथियार लिए शरणार्थी घूम रहे है,
आज स्वीडन की मुस्लिम आबादी सिर्फ 5 लाख है और ये सभी शरणार्थी मुस्लिम है जो पिछले 20 सालों से देश मे डेरा जमाए हुए हैं,
Dodo की कहानी पूरे दुनियाँ के स्कूली पाठ्यक्रम में होना चाहिए, शायद इसको पढ़कर किसी सिरफिरे और आपको ज्यादा अकलमंद समझने वाले सेक्युलर की आंखे खुल सके ।
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