दूरदर्शन के 58 साल हो गये है: क्या कोई शो आएगा जिसे देखने के लिए रोड पर सन्नाटा छा जायेगा

देश का राष्टीय टेलीविज़न प्रसारक दूरदर्शन के शुक्रवार 15 सितम्बर को 58 साल हो गये है, देश में जहाँ 800 से ज्यादा टीवी चैनल 24 घंटे चल रहे है वहाँ दूरदर्शन आज भी विश्वसनीयता और स्वस्थ मनोरंजन का प्रतिक बना हुआ है I

दूरदर्शन ने हम सब के जीवन को जरुर छुआ है, गौरवशाली इतिहास और सार्वजनिक प्रसारण को दोतरफा जिम्मेदारियों को निभाता दूरदर्शन आज बड़े वर्ग के लिए सूचना और मनोरंजन का भरोसे का केंद्र है I

भारत का टेलीविज़न इतिहास दूरदर्शन के साथ ही शुरू होता है, आज भी दूरदर्शन का नाम सुनते ही अतीत की यादे दिल और दिमाग में ताजा हो जाती है भले ही आज सैकड़ो चैनल और कार्यक्रमों की बाढ़ सी आ गयी हो लेकिन दूरदर्शन की लोकप्रियता का मुकाबला करना किसी के लिए भी आसान नही है I
दूरदर्शन की स्थापना दिल्ली में 15 सितम्बर 1959  को हुयी थी दूरदर्शन के प्रसारण के शुरुआत में इसका प्रसारण हफ्ते में तीन दिन होता था फिर 1965 में रोजाना प्रसारण होने लगा, दूरदर्शन का पाँच मिनट का न्यूज़ बुलेटिन भी इसी साल शुरुआत हुआ था I
"दूरदर्शन की पहली न्यूज़ एंकर का नाम प्रतिभा था I"
पहले इसका नाम टेलीविज़न इंडिया दिया गया था फिर बाद में 1975 में हिंदी नामकरण दूरदर्शन किया गया , एक दौर ऐसा था जब 1986 में दूरदर्शन पर रामायण की शुरुआत हुई और फिर बाद में महाभारत और शक्तिमान जैसे शो की शुरुआत हुई तो इन शो को देखने के लिए हर रविवार को शहर और गाँव के सभी सडको पर सन्नाटे छा जाते थे , और लोग महाभारत और रामायण को देखने के समय सडको पर यात्रा नही करते थे I



यही दूरदर्शन है जिसने हमारे समाज को शिक्षित किया I

विक्रम बैताल, भारत के खोज, सुरभि, अलिफ़ लैला, चंद्रकांता, शक्तिमान, हमलोग, मिर्जा ग़ालिब, देख भाई देख जैसे धारावाहिक फिर कभी नही बन सके जो दूरदर्शन की देन थे I
साल 1982 में एशियाई खेलो के दौरान रंगीन दूरदर्शन की शुरुआत हुई थी, नवम्बर 2003 में 24 घंटे चलने वाला चैनल DD News की शुरुआत हुई I
आज दूरदर्शन 64 राष्टीय नेटवर्क केन्द्रों और 24 राष्टीय भाषाओ के केन्द्रों की बदौलत भारत के गाँव-गाँव तक फैला हुआ है I

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