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Agni Purana (अग्नि पुराण) क्या है ?
अग्नि पुराण मूल रूप से अग्नि द्वारा ऋषि वशिष्ठ का उपदेश है। वशिष्ठ ने इसे व्यासजी को सुनाया, जिन्होंने इसे सूतजी से संबंधित बताया। अंतत: सूतजी ने नैमिषारण्य में ऋषियों की एक सभा को अग्नि पुराण सुनाया, अग्नि पुराण के अध्यायों में भगवान के विभिन्न अवतारों के बारे में वर्णन किया गया है, जिनमें राम और कृष्ण शामिल हैं।
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अन्य अध्यायों में धार्मिक अनुष्ठानों के बारे में वर्णन किया गया है जो विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा से संबंधित हैं। कई अध्यायों में पृथ्वी, सितारों और नक्षत्रों के साथ-साथ राजाओं के कर्तव्यों के बारे में वर्णन है, जितने भी सनातन धर्म मे पर्व त्यौहार है, संस्कार है, दीक्षा है ये सभी अग्नि पुराण में मिलेंगे,
Agni Purana (अग्नि पुराण) में कितने अध्याय है ?
अग्नि पुराण में 383 अध्याय है, और यह 12,000 से लेकर 15,000 छंदों के बीच में युक्त है, इसमे परा और अपरा विद्याओ का वर्णन है, मत्स्य कुल अवतारों की कथाये है, रामायण के सातों कांडो की संक्षिप्त कथा अग्नि पुराण में है।
हरिवंश नाम से भगवान श्रीकृष्ण के वंश का वर्णन है, महाभारत के सभी संक्षिप्त कथा अग्नि पुराण में है, सृष्टि वर्णन , स्न्नान संध्या पूजन, दीक्षा विधि, अभिषेक विधि, और दीक्षा के 48 संस्कार है, आदिवास विधि है, प्रसाद लक्षण, प्रसाद देवता स्थापना विधि हैं, विविध देव प्रतिमाओ के लक्षण, प्राण प्रतिष्ठा विधि, देव पूजा विधि, देवो के विभिन्न मंत्र , वास्तुकला पूजा, खगोल आदि का सुंदर वर्णन अग्नि पुराण में किया गया है।
इसके अतिरिक्त इसमे तीर्थ महात्मा, श्राद्ध कल्प, ज्योतिष शास्त्र, त्रैलोक विजय विद्या, महामणि विजय विद्या, वशीकरण विद्या, सत्कर्म विद्या, मंत्र शास्त्र, लक्ष्य कोटि विद्या, सूर्य और चन्द्र वंश का विस्तार, पुरुष और स्त्री के शुभाशुभ लक्षण, बालतंत्र, ग्रह मंत्र, त्रेलोक मोहन मन्त्र, लक्ष्मी और त्वरित पूजा, और सिद्धि आदि का प्रतिपादन अग्नि पुराण में किया गया है।
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