सुनंदा वशिष्ठ भारतीय मूल के एक अमेरिकी स्तंभकार (columnist) हैं।
15 नवंबर को अमेरिकी कांग्रेस में कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर एक बैठक/सुनवाई आयोजित किया गया था। इसमें भारत विरोधी सदस्य ज्यादा थे और इसलिए रिपब्लिकन पार्टी के ज्यादातर सदस्य इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे।
इस बैठक में सुनंदा वशिष्ठ जी कश्मीरी हिंदुओं के तरफ से अपनी बातें रखीं।
उनका कहना था कि
- सीरिया में कट्टर इस्लामिक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस (ISIS) जैसा बर्बरता कर रहा है 90 के दशक में कश्मीर ठीक वैसा ही बर्बरता देख चुका है।
- आज कश्मीर को लेकर चिंतित सारे लोग तब कहां थे जब 1990 में लगभग 400000 हिंदुओं को कश्मीर घाटी से बाहर निकाल दिया गया था।
- सारे मानवाधिकार बादी कहां थे 19 जनवरी 1990 की रात को जब मस्जिदों से हिंदू मर्दों को अपनी अपनी औरतों को छोड़कर बाहर निकल जाने के लिए कहा जा रहा था।
- हिंदुओं के घरों पर कब्जा कर लिया गया, मंदिरों को जला दिया गया और ऐसे ही बहू धर्मी कश्मीर इस्लामिक कश्मीर में परिवर्तित हो गया। अल्पसंख्यकों के लिए चीखने चिल्लाने वाले सारे चुप थे तब।
- हम लोगों पर निर्मम अत्याचार हुआ लेकिन हम लोग के लिए आवाज उठाने वाले व्यक्ति काफी कम थे।
सुनंदा जी यह भी बोली कि उस रात को उनके दादाजी दो चाकू और एक जंग लगी हुई कुल्हाड़ी लेकर तैयार थे उनको और उनकी मां को मारने के लिए ताकि वह लोग बर्बर जिहादियों के हाथ से बच सकें।
लेकिन सुनंदा जी और उनकी परिवार काफी भाग्यशाली रहे क्योंकि वह लोग सुरक्षित कश्मीर घाटी से पलायन करने में सक्षम हो गए थे। और जो लोग पलायन नहीं कर पाए थे उन लोगों के पास दो ही विकल्प था
- या तो अपना धर्म छोड़कर इस्लाम कबूल कर ले,
- या फिर मौत (पुरुष)/ बलात्कार और मौत (महिला)।
इसी दौरान सुनंदा जी ने दो दिल दहला देने वाले दो घटनाओं का भी उल्लेख किए,
- गिरिजा टिक्कू : गिरजा जी कश्मीर में एक स्कूल की लैब असिस्टेंट थी। जिहादियों ने इनको अगवा करके इनका बलात्कार किया था और बाद में जिंदा रहते हुए इनको मशीन से दो टुकड़ों में काट दिया था। इस तरह एक युवती की दर्दनाक मौत हुई थी।
- बी के गंजू : यह कश्मीर घाटी के एक इंजीनियर थे। जिहादियों ने इनको घर में घुसकर गोलियों से भून दिया और इनकी खून से सना हुआ चावल इनकी पत्नी को जोर जबरदस्ती से खिला दिया गया था।
इन दोनों का सिर्फ एक ही गलती था और वह है इन लोगों का हिंदू धर्म।
अंत में सुनंदा जी कहती हैं
- भारत का संविधान दुनिया के सबसे उदारवादी संविधानों में से एक है।
- ऐसा नहीं है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद ही कश्मीर भारत से संपूर्ण रूप से जुड़ा, क्योंकि भारत कोई 70 साल पुराना देश नहीं यह 5000 साल पुरानी एक सभ्यता है और कश्मीर इसका एक अभिन्न अंग है।
- अनुच्छेद 370 हटने से कश्मीर की लड़कियों महिलाओं और एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) समुदाय को अपने अपने अधिकार मिले।
- अनुच्छेद 370 हटने से कश्मीर में आसानी से आतंकवाद से निपटा जा सकता है। कश्मीर में मानवाधिकार बनाए रखने के लिए आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकना पड़ेगा क्योंकि सबसे अहम मानवाधिकार है "जीने का अधिकार" जो आतंकवाद छीन लेता है।
"जैसे भारत बिना कश्मीर अधूरा है वैसे ही कश्मीर बिना भारत अधूरा है"।
There is no Kashmir without India and there is no India without Kashmir. https://t.co/9I7H9DzpZN— Sunanda Vashisht (@sunandavashisht) November 15, 2019
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