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नारद पुराण क्या है ?
18 पुराणों में नारद पुराण छठे नंबर पर आता हैं, प्रारंभ में, इसमें लगभग पच्चीस हजार श्लोक थे। लेकिन, वर्तमान में नारद पुराण के उपलब्ध संस्करण में 18 हजार से अधिक श्लोक नहीं हैं।नारद पुराण की पूरी सामग्री को दो भागों में विभाजित किया गया है, पूर्व भाग और उत्तर भाग।
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पहले अध्याय में 125 अध्याय और दूसरे अध्याय में 82 अध्याय सम्मिलित है, इसमे 18 पुराणों की अनुक्रमणिका दी गयी है, पूर्व भाग में ऐतिहासिक गाथाये, गोपनीय धार्मिक अनुष्ठान, धर्म का स्वरूप, भक्ति का महत्व दर्शाने वाली विचित्र और विलक्षण कथाये, ज्योतिष, मंत्र विज्ञान, 12 महीनों की व्रत तिथियों के साथ जुड़ी कथाये, एकादशी माहात्म्य, का वर्णन किया गया है।
उत्तर भाग में महर्षि बशिष्ठ और ऋषि मन्धधाता की व्याख्या प्राप्त होती है, यहाँ वेदों के छः अंगों का विश्लेषण किया गया है, ये अंग है शिक्षा, कल्प, व्याकरणं, निरुक्त, छंद, और ज्योतिष।
नारद पुराण महर्षि नारद के होठों से निकला है, और नारद पुराण एक वैष्णव पुराण है , ऐसा माना जाता है इसको सुनने मात्र से आपके कई जन्म के पाप नष्ट हो जाते है, पापियों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि जो व्यक्ति ब्रह्म हत्या का दोषी है, मदिरापान करता है, माँस भक्षण करता है, चोरी करता है, लहसुन प्याज खाता है वह व्यक्ति पापी है।
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नारद पुराण के शुरुआत में ऋषिगण महर्षि सूत जी से पांच प्रश्न पूछते है,
- भगवान श्री हरि को प्रश्न करने का उपाय क्या है ?
- मनुष्यो को मोक्ष किस प्रकार प्राप्त हो सकता है?
- भगवान के भक्तों का स्वरूप कैसा हो और भक्ति से क्या लाभ होता है ?
- अतिथियों का स्वागत और सत्कार कैसे करे ?
- वर्णो और आश्रमो का वास्तविक स्वरूप क्या होता है ?
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