हिन्दू सनातन धर्म में 'रुद्राक्ष' को पवित्र माना गया है, इसे कई लाभ होते हैं, ऐसा माना जाता है की रुद्राक्ष की उत्पति भगवान् शंकर के आँखों के जलबिंदु से हुयी है, इसे धारण करने से सकारात्मक उर्जा मिलती है, रुद्राक्ष शिव का वरदान है जिसकी उत्पति संसार के दुखो को दूर करने के लिए भगवान् शंकर ने इसकी उत्पति की है.
रुद्राक्ष का पेड़ |
एकमुखी रुद्राक्ष भगवान् शिव, द्वि मुखी श्री गौरी-शकर,त्रिमुखी तेजोमय अग्नि, चतुर्थमुखी श्री पंचदेव, पन्चमुखी सर्वदेव्मयी, षष्ठमुखी भगवान कार्तिकेय, सप्तमुखी प्रभु अनंत, अष्टमुखी भगवान श्री गेणश, नवममुखी भगवती देवी दुर्गा, दसमुखी श्री हरि विष्णु, तेरहमुखी श्री इंद्र तथा चौदहमुखी स्वयं हनुमानजी का रूप माना जाता है। इसके अलावा श्री गणेश व गौरी-शंकर नाम के रुद्राक्ष भी होते हैं। रूद्राक्ष प्रत्येक हिन्दू को पहनना चाहिए..
ऐसा रुद्राक्ष जिसमें एक ही आँख अथवा बिंदी हो। स्वयं शिव का स्वरूप है जो सभी प्रकार के सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करता है।
- द्विमुखी रुद्राक्ष
सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला तथा दांपत्य जीवन में सुख, शांति व तेज प्रदान करता है।
- त्रिमुखी रुद्राक्ष
समस्त भोग-ऐश्वर्य प्रदान करने वाला होता है।
चतुर्थमुखी रुद्राक्ष
धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है।
- पंचमुखी रुद्राक्ष
सुख प्रदान करने वाला।
- षष्ठमुखी रुद्राक्ष
पापों से मुक्ति एवं संतान देने वाला होता होता है।
- सप्तमुखी रुद्राक्ष
दरिद्रता को दूर करने वाला होता है।
- अष्टमुखी रुद्राक्ष
आयु एवं सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है।
- नवममुखी रुद्राक्ष
मृत्यु के डर से मुक्त करने वाला होता है।
- दसमुखी रुद्राक्ष
शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है।
- ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
विजय दिलाने वाला, ज्ञान एवं भक्ति प्रदान करने वाला होता है।
- बारह मुखी रुद्राक्ष
धन प्राप्ति कराता है।
- तरेह मुखी रुद्राक्ष
शुभ व लाभ प्रदान कराने वाला होता है।
- चौदह मुखी रुद्राक्ष
संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला होता है।
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