दुर्गा सप्तशती संपूर्ण पाठ हिंदी में pdf download

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दुर्गा सप्तशती का पाठ बहुत ही प्रभावशाली हैं, इसके मंत्र भी बहुत प्रभावशाली हैं, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण हो सकती हैं लेकिन इसके लिए आपको कुछ विशेष नियमों का पालन आवश्यक होता हैं, नही तो आपको पूर्ण फल की प्राप्ति नही होती हैं।

चारो वेद की तरह ये भी एक महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं , जिसका मार्कण्डेय पुराण में अध्याय मिलता हैं, यह 700 श्लोकों से परिपूर्ण माना जाता हैं, जिसमे 535 श्लोक हैं और 108 अर्ध श्लोक हैं, और 57 उवाच हैं और 3 भागो में महाकाली, महालक्ष्मी, और महा सरस्वती नाम के चरित्र हैं।


दुर्गा सप्तशती पढ़ने की विधि

  1. गणपति पूजन, कलश पूजन, नवग्रह पूजन और दीप पूजन के पश्चात ही हमे दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
  2. दुर्गा सप्तशती के पुस्तक को पढ़ने से पहले किसी लाल कपड़े में किसी लकड़ी के बने व्यासपीठ पर रखना चाहिए।
  3. दुर्गा सप्तशती का पाठ हमेशा पूर्व की मुंह करके पढ़ना चाहिए।
  4. अक्षत रोली चंदन के साथ पुस्तक का पूजन अवश्य करे, पुस्तक को धूप दीप अवश्य दिखाएं।
  5. संकल्प के साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए, बिना संकल्प के कोई भी कार्य फलित नही होता हैं।
  6. दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए आप किसी अपने घर के बुजुर्ग का सलाह ले सकते है।

दुर्गा सप्तशती को पढ़ने के विशेष नियम

दुर्गा सप्तशती के विधि और विशेष नियम निम्नलिखित हैं।

  • दुर्गा सप्तशती का जब भी पाठ करे तब उस समय दुर्गा सप्तशती के पुस्तक को पकड़कर हाथ में लेकर न पढ़े।
  • दुर्गा सप्तशती के पाठ को जब पढ़ना प्रारंभ करे तो बीच में पाठ को छोड़कर नही उठेंगे, अगर गलती से आपको किसी काम वश उठना पड़ रहा हैं तब आपको तीसरा सूत्र धारण करना चाहिए यानी जहां से आप छोड़कर गए है ठीक उसी अध्याय से पाठ को पढ़ना आरंभ करना चाहिए।
  • अगर आप एक ही दिन में दुर्गा सप्तशती पाठ को नही पढ़ पा रहे है, आपको ये तरीका अपमान चाहिए
प्रथम दिन - 1 अध्याय
दूसरा दिन - 2 अध्याय
तीसरे दिन - 1 अध्याय
चौथा दिन - 4 अध्याय
पांचवा दिन - 2 अध्याय
छठा दिन - 1 अध्याय
सातवा दिन - 2 अध्याय
  • जिस पुस्तक को आप पढ़ने जा रहे हैं पढ़ने से पहले आपको इसके विषय में जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए, पुस्तक के अंदर क्या है, कौन सा कवच हैं इत्यादि।
  • दुर्गा सप्तशती के प्रत्येक श्लोक को बहुत ही स्पष्टता से पढ़ना चाहिए, बहुत जल्द जल्द पढ़ने से बचना चाहिए, और न ही मंद मंद पढ़ना चाहिए।
  • रसयुक्त होकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
  • पाठ के अंत में इति शब्द का, वध शब्द, अध्याय और समाप्त शब्द का प्रयोग बिलकुल नही करना चाहिए।

Note: दुर्गा सप्तशती का पाठ किसी शास्त्री जी, या प्रकांड पंडित जी, आचार्य जी से ही कराना उचित रहता हैं क्योंकि दुर्गा सप्तशती का सही उच्चारण का ज्ञान उनको ही होता हैं, अगर आपको भी संस्कृत का अच्छा ज्ञान हैं तो आप खुद भी दुर्गा सप्तशती का पाठ पढ़ सकते हैं। जैसी भी परिस्थिति बने आप खुद निर्णय ले सकते हैं।

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