करवा चौथ का व्रत पूजा/पूजन विधि इन हिंदी - karwa chauth vrat katha pujan vidhi in hindi
करवा चौथ एक ऐसा त्योहार है जिसे महिलाओं के द्वारा पति के कल्याण के लिए रखा जाता है, जिसे स्त्रियाँ कथा के रूप में व्रत के दिन सुनती है| वैसे तो करवा चौथ की कई कहानियां है परन्तु सबका मूल एक ही है| कहा जाता है की करवा चौथ के दिन व्रत कथा का पढ़ा जाना काफी महत्व रखता है| यह प्रथा सदियों से चली आ रही है और सभी वैवाहित महिलाएं इसका पूर्ण रूप से पालन करती है|
1. श्री गणेश
सुपारी पर रक्षासूत्र यानि मौली गोलाकार में इस तरह लपेटें कि सुपारी पूर्णतया ढक जाये| एक कटोरी या अन्य छोटे पात्र में थोडा सा अक्षत रखें| इस अक्षत पर गणेश रूप मौली को रखें|
2. माँ अम्बिका गौरी
पीली मिट्टी की गौर बनायें| मिट्टी गोलाकार करके उपरी सतह पर मिट्टी का त्रिकोण बनायें| मिट्टी उपलब्ध न होने पर एक ताम्बे के सिक्के पर रक्षासुत्र लपेटें एवं एक छोटे से लाल कपड़े से ढक दें| एक रोली की बिंदी लगाये अथवा बनी हुई बिंदी लगाये| भाव यह रखें कि माँ गौर का मुख है| अम्बिक गौरी के स्वरुप को श्रद्धा पूर्वक गणेश जी के बगल में बायीं ओर रखें|
3. श्री नन्दीश्र्वर
एक पुष्प को श्री नन्दीश्र्वर का स्वरुप मान कर स्थान दें|
4. श्री कार्तिकेय
- एक पुष्प को श्री कार्तिकेय का स्वरुप मान कर स्थान दें|
- श्री नन्दीश्र्वर एवं श्री कार्तिकेय हो तो उत्तम है| श्री शंकर, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय एवं श्री नन्दा का सम्मलित चित्र उपलब्ध रहता है| पुष्प स्वरुप रखना हो तो गणेश और गौरी के समीप दुसरे पात्र में अक्षत के ऊपर रखें|
5. श्री शंकर जी
प्रमुख देवता श्री शिव जी के शिवलिंग का चित्र गणेश गौर || नन्दीश्र्वर || कार्तिकेय के पीछे रखें|
6. पार्वती जी
हल्दी एवं आंटे के सम्मिश्रण से पानी डाल कर घोल तैयार करें| इससे किसी गत्ते पर पार्वती जी का चित्र बनाये| चित्र में आभूषण पहनाने के लिए कील लगायें| जैसे कंठ में माला के लिए कील लगायी वैसे कंठ के दायें बायें कील लगायें| चरणों में पायल पहनाने के लिए दोनों चरणों के दोनों ओर कांटी लगाये| चरणों में पायल पहनाने के लिए दोनों चरणों के दोनों ओर कांटी लगायें| माँ के चरणों का भक्तिपूर्वक पूजन करें|
7. करवा
मिट्टी, तांबे, पीतल अथवा चांदी के २ करवा | करवा ना हो तो २ लोटा| करवा में रक्षा सूत्र बांधें|लेपन से स्वास्तिक बनायें| दोनों करवों में कंठ तक जल भरें| या एक करवा में दुग्ध अथवा जल भरें| एक करवा में मेवा जो सास को दिया जाता है\ दुग्ध अथवा जल में भरे करवे में ताबें या चांदी का सिक्का डालें|
8. पूजन सामग्री
धुप, दीप, कपूर, रोली, चन्दन, सिंदूर, काजल इत्यादी पूजन समग्री थाली में दाहिनी ओर रखें| दीपक में घी इतना हो कि सम्पूर्ण पूजन तक दीपक प्रज्वालित रहे|
9. नैवेध
नवैध में पूर्ण फल, सुखा मेवा अथवा मिठाई हो| प्रसाद एवं विविध व्यंजन थाली में सजा कर रखे| गणेश गौर, नन्दी एवं कार्तिकेय और श्री शिव जी के लिए नैवेध तीन जगह अलग अलग छोटे पात्र में रखें|
10. जल के लिए ३ पात्र
- आचमन के जल के लिए छोटे पात्र में जल भर कर रखे| साथ में एक चम्मच भी रखें|
- हाथ धोने का पानी इस रिक्त पात्र में रखें|
- विनियोग के पानी के लिए बड़ा पात्र जल भर कर रखें|
11. पुष्प
पुष्प एवं पुष्पमाला का चित्र स्वयं के दाहिनी ओर स्थापित करें|
12. चन्द्रमा
चंद्रदेव या चन्द्रमा का चित्र स्वयं के दाहिनी ओर स्थापित करें| सब तैयारी हो जाने पर कथा सुने और फिर चन्द्रमा के निकलते ही श्री चंद्रदेव को अर्ग देकर भोजन ग्रहण करें|
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