चर्च के पादरियों और बिशप द्वारा यौन शोषण किया जाना एक हकीकत है जिसके बारे में हर कोई जानता है। ऐसा कहना है केरल की नन सिस्टर लूसी का। उन्होंने अपनी आत्मकथा में चर्चों के पादरी और बिशपों द्वारा किए जाने वाले महिलाओं के यौन शोषण पर खुलकर आवाज उठाई है।
मीडिया से उन्होंने इस पर बात करते हुए बताया कि उन्होंने इस किताब पर जो कुछ भी लिखा है वह उनकी जिंदगी का हिस्सा है। सिस्टर लूसी की आत्मकथा का नाम "Karthaavinte Naamathil" (ईश्वर के नाम पर) है। उन्होंने मीडिया को बताया कि पादरियों द्वारा यौन शोषण करना एक खुला रहस्य है, लेकिन कोई भी इसके खिलाफ आवाज हिठाने का साहस नहीं करता।
इस अध्यात्मिक जीवन में चार साल बिताने के बाद उन्हें बता चला कि पादरी और बिशप यौन शोषण का शिकार बनाते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा होता, यह फैक्ट है, इसके बारे में हर कोई जानता है लेकिन बहुत से लोग इस बारे में चुप रह जाते हैं। लेकिन वह अपने साथ होने वाली हर घटना को उजाकर करने के लिए 2004-2005 में आत्मकथा लिखना शुरू किया।
सिस्टर लूसी ने बताया उन्हें भी ऐसे कड़ुवे अनुभव का सामना करना पड़ा था, जब चर्च के प्रभावशाली पदाधिकारियों की ओर से उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। इसलिए उन्होंने सोचा यह बेहतर होगा कि वह हर बात का रिकॉर्ड रखें। इसी कारण से उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखना शुरू किया। पहले वह थोड़ी पहुत लिखती थीं, लेकिन इसे लिखना जारी रखा। जो जीवन में घटित होने वाली महत्वपूर्ण बातें होती वह उसे लिखती जातीं।
उल्लेखनीय है कि केरल के बिशप मुलक्कल के खिलाफ नन से बलात्कार करने आरोपों के बाद बहुत सी नन से इकठ्ठा होकर उसके खिलाफ जब प्रदर्शन कर रही थीं तो सिस्टर लूसी भी प्रदर्शनकारियों में पहली पंक्ति में खड़ी होने वाली एक नन हैं। आरोपी बिशप के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
Source - live Hindustan
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