कश्मीर में अब कहा जा रहा है कि शनिवार से बीएसएनएल के पोस्टपेड मोबाइल फोन चालू हो जाएंगे। इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी ले ली है। इस फैसले से वहां के लोगों के चेहरों पर नहीं, बल्कि लंबे समय से तैनात सुरक्षा बलों में भी खुशी देखी जा रही है। कश्मीर में तैनात सेना एवं अर्धसैनिक बलों के लाखों जवानों को 'अपनों' से बात करने के लिए कई घंटों तक कतार में खड़ा होना पड़ रहा है।
जवान 140 और फोन केवल एक
सरकार ने हर एक यूनिट में कंपनी के हिसाब से फोन उपलब्ध कराया था। यानी जवानों की एक कंपनी के हिस्से एक फोन आता है। एक कंपनी में 80 से 140 जवान होते हैं। नतीजा, फोन एक होता है और जवानों की कतारें चार। अगर नंबर लग गया तो मुश्किल से दो-तीन मिनट ही बात हो पाती है। फोन बीच में कट गया, तो जवान को दोबारा से लाइन में लगना पड़ेगा। बड़ी बात यह है कि इन परेशानियों के बावजूद जवान मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी देते हैं।
हर यूनिट में सैटेलाइट फोन दिए
बता दें कि चार अगस्त के बाद कश्मीर में तैनात जवानों के फोन बंद हो गए थे। बीएसएनएल ही नहीं, बल्कि दूसरी संचार कंपनियों की सेवाएं भी बाधित रही। पहले एक महीने तक तो हालत यह रही कि जवान अपने परिजनों से बात ही नहीं कर सके। इसके बाद हर यूनिट में सेटेलाइट फोन मुहैया कराए गए। इन फोनों से कभी बात हो जाती थी, तो कभी नहीं होती थी। जवानों के पास अपने मोबाइल फोन हैं, लेकिन वे खिलौना ही बने रहे। सितंबर माह के अंत तक हर एक कंपनी में बीएसएनएल का एक फोन चालू कर दिया गया। ड्यूटी खत्म होने के बाद जवान उस फोन से बात करते हैं। चूंकि फोन एक था और जवान करीब सौ। ऐसे में लंबी कतार लगना लाजमी है।
तीन से चार घंटे में आती है बारी
जहां पर फोन लगा होता है, उसके आसपास चार-पांच लाइनों में जवान खड़े रहते हैं। किसी की बारी एक घंटे में, तो किसी को तीन-चार घंटे तक लग जाते हैं। बीच में फोन भी कटता है। ऐसे में जवान के इंतजार का समय और ज्यादा हो जाता है। एक बार फोन कटने के बाद उसे दोबारा से पीछे जाकर लाइन में लगना पड़ता है। कई बार जवान के घर से फोन आता है, तो उसके लिए भी वे इंतजार करते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें ड्यूटी से बुलाया जाता है और तब तक उनकी जगह पर दूसरा जवान तैनात रहता है।
BSNL पोस्टपेड सेवा शुरू होने से होगा फायदा
सीआरपीएफ के डीआईजी एम. दिनाकरण कहते हैं कि हर कंपनी में कम से कम एक फोन चालू किया गया है। जवानों को थोड़ा बहुत इंतजार करना पड़ता है, लेकिन वे खुश रहते हैं। देर-सवेर सभी की अपने परिजनों से बात हो जाती है। अगर कोई जवान अपनी पोस्ट पर है, तो उसे वहां सूचना दे दी जाती है। उसके घर से कितने बजे फोन आएगा, यह जानकारी होने के बाद जवान फोन के पास पहुंच जाता है। यह तय है कि हर जवान थोड़े इंतजार के बाद अपनों से बात कर लेता है। बीएसएनएल की पोस्टपेड सेवा चालू होने के बाद यह दिक्कत भी खत्म हो जाएगी।
Sorce - Amar Ujala
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