पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक हिंदू लड़की निशा को जबरन मुसलमान बनाकर निकाह कराने में वहाँ के स्थानीय नेता मियां मिट्ठू का हाथ होने की पुष्टि हुई है। वह पहले से इसके लिए कुख्यात है।
यहां तक कि न्यूयार्क टाइम्स भी उसके बारे में यह खबर छाप चुका है कि वह किस तरह एक दरगाह के संचालक अपने भाई मियां शमां की मदद से वह अगवा की गई हिंदुओं लड़कियों को जबरन मुसलमान बनाता है और फिर उनका निकाह किसी मुसलमान लड़के से करा देता है।
इस सप्ताह घोटकी जिले की हिंदू लड़की निशा को मियां मिट्ठू के भाई पीर मियां शमां की ओर से संचालित दरगाह में ही मुसलमान बनाया गया। यह दरगाह भरंचडी शरीफ के तौर पर जानी जाती है, लेकिन इलाके में इसकी पहचान एक ऐसी दरगाह के तौर पर है जहां हिंदू लड़कियों को जबरन मुसलमान बनाया जाता है।
Naya Pakistan: The pir of Bharchundi Sharif, Mian Mitho, infamous because of several cases of forced conversion of Hindu girls, has now joined Imran Khan's PTI. He will contest the election on PTI’s ticket. pic.twitter.com/opxhRBIAE9— Naila Inayat (@nailainayat) February 10, 2018
Pakistani Hindus keep losing daughters in the name of Islam. Now a young Hindu girl Nisha Deewan abducted from Pano Akil in Sukkur, Sindh, married to her abductor and converted by the notorious Mian Mitho at Dargah Bharchundi Sharif. #HumanRights pic.twitter.com/QrIg6ayARn— Naila Inayat (@nailainayat) February 10, 2018
मियां मिट्ठू की ताकत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान से उसे अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है। वह उनकी पार्टी से अगला चुनाव लड़ने जा रहा है। एक बार हिंदुओं के विरोध पर इमरान उसे अपनी पार्टी-तहरीके इंसाफ में शामिल करने से पीछे हट गए थे, लेकिन कुछ दिनों पहले उन्होंने उसे अपना लिया। इसके बाद से सिंध के हिंदू और ज्यादा खौफजदा हैं।
यह मियां मिट्ठू के खौफ का ही नतीजा है कि उसका भाई खुलेआम यह कह चुका है कि उसका मकसद कम से कम दो हजार हिंदू लड़कियों को मुसलमान बनाना है। घोटकी के लोग इस ऐलान से अच्छी तरह अवगत हैं। सिंध में हिंदू लड़कियों को जबरन मुसलमान बनाने के मामले में भरचंडी शरीफ दरगाह की भूमिका के बारे में पाकिस्तान के अखबार भी कभी-कभार पर लिखते रहे हैं।
सिंध में हिंदू लड़कियों को अगवा करने का धंधा इतना तेज हो गया है कि अधिकांश मां-बाप उन्हें स्कूल ही नहीं भेज रहे हैं।
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